Maiya Bhavan Me Kaise Aau
॥ भजन लिरिक्स ॥
मैया भवन में कैसे आऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे,
मैया भवन में कैसे आऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे॥
हम बड़ी दूर से आए,
जल भर भर लोटा लाए,
मैया चरण कैसे धुलाऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे,
मैया भवन में कैसे आऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे॥
हम बड़ी दूर से आए,
और दिया-बाती लाए,
मैया ज्योत मैं कैसे जगाऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे,
मैया भवन में कैसे आऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे॥
हम बड़ी दूर से आए,
चन्दन और रोली लाए,
मैया तिलक मैं कैसे लगाऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे,
मैया भवन में कैसे आऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे॥
हम बड़ी दूर से आए,
लहेंगा चुनरी लाए,
मैया चुनरी कैसे चढ़ाऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे,
मैया भवन में कैसे आऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे॥
हम बड़ी दूर से आए,
हलवा और पूरी लाए,
मैया भोग कैसे लगाऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे,
मैया भवन में कैसे आऊँ,
तेरा शेर खड़ा पहरे पे॥
॥ सार ॥
इस भजन में भक्त माँ दुर्गा के चरणों में पहुँचने की प्रबल इच्छा के साथ अपनी असमर्थता व्यक्त करता है। माँ के शेर के पहरे का उल्लेख एक भक्त की विनम्रता और श्रद्धा का सुंदर प्रतीक है।