Kothe Upar Kothdi Maiya Ka Bhawan Saja Doongi
॥ भजन लिरिक्स ॥
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी॥
जो मेरी मैया टिक्का माँगे,
बिंदी और लगा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै,
जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी॥
जो मेरी मैया कुंडल माँगे,
नथनी भी पहरा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै,
जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी॥
जो मेरी मैया पैंडल माँगे,
माला भी पहरा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै,
जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी॥
जो मेरी मैया चूड़ी माँगे,
मेहंदी भी लगवा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै,
जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी॥
जो मेरी मैया चोला माँगे,
चुनर भी ओढ़ा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै,
जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी॥
जो मेरी मैया पायल माँगे,
बिछुए भी मंगा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै,
जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी,
मैया का भवन सजा दूंगी॥
॥ सार ॥
इस भजन में भक्त माँ दुर्गा के लिए तन, मन और धन से सेवा करने का व्रत लेता है। हर पंक्ति माँ के लिए समर्पित प्रेम, आदर और सेवा भावना को सुन्दरतम रूप में प्रस्तुत करती है।