श्री चित्रगुप्त जी की आरती (श्री विरंचि कुलभूषण)
Chitragupt Ji • Hindi
भजन: श्री चित्रगुप्त जी की आरती (श्री विरंचि कुलभूषण) — श्री चित्रगुप्त जी की आरती || Shri Chitragupt Ji Ki Aarti || Shri Viranchi Kulbhushan। भाषा: Hindi. Song
title (English): aartis/devta aartis/shri chitragupt ji ki aarti shri viranchi kulbhushan
॥ श्री चित्रगुप्त जी की आरती ॥
श्री विरंचि कुलभूषण,
यमपुर के धामी ।
पुण्य पाप के लेखक,
चित्रगुप्त स्वामी ॥
सीस मुकुट, कानों में कुण्डल,
अति सोहे ।
श्यामवर्ण शशि सा मुख,
सबके मन मोहे ॥
भाल तिलक से भूषित,
लोचन सुविशाला ।
शंख सरीखी गरदन,
गले में मणिमाला ॥
अर्ध शरीर जनेऊ,
लंबी भुजा छाजै ।
कमल दवात हाथ में,
पादुक परा भ्राजे ॥
नृप सौदास अनर्थी,
था अति बलवाला ।
आपकी कृपा द्वारा,
सुरपुर पग धारा ॥
भक्ति भाव से यह,
आरती जो कोई गावे ।
मनवांछित फल पाकर,
सद्गति पावे ॥
॥ सार ॥
‘श्री विरंचि कुलभूषण’ आरती भगवान चित्रगुप्त जी की स्तुति है, जो धर्म और कर्म के परम न्यायाधीश माने जाते हैं। वे हर जीव के कर्मों का लेखा रखते हैं और सत्य मार्ग का पालन सिखाते हैं। आरती गाने से भक्त को सद्गति, मोक्ष और धर्मपालन की प्रेरणा मिलती है। ⚖️🙏