जप्रभु जय कुबेर स्वामी
॥ जय कुबेर स्वामी आरती ॥
जय कुबेर स्वामी,
प्रभु जय कुबेर स्वामी,
हे समरथ परिपूरन ।
हे समरथ परिपूरन ।
हे अन्तर्यामी ॥
ॐ जय कुबेर स्वामी,
प्रभु जय कुबेर स्वामी ॥
विश्रवा के लाल इदविदा के प्यारे,
माँ इदविदा के प्यारे,
कावेरी के नाथ हो ।
शिवजी के दुलारे ॥
ॐ जय कुबेर स्वामी,
प्रभु जय कुबेर स्वामी ॥
मनिग्रवी मीनाक्षी देवी,
नलकुबेर के तात,
प्रभु नलकुबेर के तात,
देवलोक में जागृत ।
आप ही हो साक्षात ॥
ॐ जय कुबेर स्वामी,
प्रभु जय कुबेर स्वामी ॥
रेवा नर्मदा तट शोभा अतिभारी,
प्रभु शोभा अतिभारी,
करनाली में विराजत ।
भोले भंडारी ॥
ॐ जय कुबेर स्वामी,
प्रभु जय कुबेर स्वामी ॥
वंध्या पूत्र रतन और निर्धन धन पाये,
सब निर्धन धन पाये,
मनवांछित फल देते ।
जो मन से ध्याये ॥
ॐ जय कुबेर स्वामी,
प्रभु जय कुबेर स्वामी ॥
सकल जगत में तुम ही सब के सुखदाता,
प्रभु सब के सुखदाता,
दास जयंत कर वन्दे ।
जाये बलिहारी ॥
ॐ जय कुबेर स्वामी,
प्रभु जय कुबेर स्वामी ॥
॥ सार ॥
यह आरती भगवान कुबेर जी की है, जो धन, ऐश्वर्य और वैभव के देवता हैं। वे शिवजी के गणों में प्रधान हैं और विश्व के धन के अधिपति हैं। श्रद्धा से ‘जय कुबेर स्वामी’ आरती गाने से मनुष्य को धन, सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक संतोष की प्राप्ति होती है। 💰🙏