कण कण में ओम समाया है प्रभु कैसी तुम्हारी माया है
कण कण में ॐ समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी माया है।।
कभी गणपति में ओम,
कभी गौरा में ओम।
रिद्धि सिद्धि में ओम समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी माया है।।
कभी ब्रह्मा में ओम,
कभी विष्णु में ओम।
कभी भोले में ओम समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी माया है।।
कभी गंगा में ओम,
कभी जमुना में ओम।
कभी लहरों में ओम समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी माया है।।
कभी राम में ओम,
कभी श्याम में ओम।
हनुमत में ओम समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी माया है।।
कभी सूरज में ओम,
भी चंदा में ओम।
तारों में ओम समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी माया है।।
कभी गीता में ओम,
कभी भागवत में ओम।
कभी वेदों में ओम समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी माया है।
कण कण में ॐ समाया है,
प्रभु कैसी तुम्हारी।।
॥ सार ॥
कण कण में ओम समाया है प्रभु कैसी तुम्हारी माया है में ओम के माध्यम से शिव और अन्य देवताओं में प्रभु की अनंत माया और भक्ति का अनुभव प्रस्तुत किया गया है। 🕉️🙏