भोले मैं ना चलूंगी तेरे साथ गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी
॥ भजन ॥
भोले मै ना चलूं तेरे साथ,
गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी।।
वहां पापी अधर्मी आवे भोले,
वह भी मेरे में नहावे।
भोले मेरी मैली हो जाए धार,
गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी।।
बेटी का कमाया खावे भोले,
वह भी मेरे में नहावै।
ओ भोले मेरी उल्टी बहेगी धार,
गंगा यूं शिव से कहने लगे।।
मां बाप का घर छोड़ आवे,
वह भी मेरे में नहावै।
भोले उनका कैसे होगा उद्धार,
गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी।।
भाई ने भाई मारे भोले,
वह भी मेरे में नहावै।
मेरी बहेगी खून की धार,
गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी।।
वहां प्रेमी जोड़े आवे,
मस्ती में मेरे में नहावै।
वह मां-बाप की राखै ना लाज,
गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी।।
गंगा चलो हमारे साथ भोले,
गंगा से कहने लगा।
गंगा चलो हमारे साथ भोले,
गंगा से कहने लगा।।
वहां राम और लक्ष्मण आवै गंगा,
वे भी तेरे में नहावै।
गंगा तेरी निर्मल हो जाए धार,
भोले गंगा से कहने लगा।।
वहां धर्मी धर्म कमावै गंगा,
वे भी तेरे में नहावै।
उनका हो जाए बेड़ा पार,
भोले गंगा से कहने लगा।।
भागीरथ तने बुलावै,
वह अपने पितर मनावै।
गंगा उसने भक्ति करी दिन रात,
भोले गंगा से कहने लगा।।
तुझे अपनी जटा में बैठाऊं,
सुख-दुख में साथ निभाऊं।
गंगा हरदम रहूं तेरे साथ,
भोले गंगा से कहने लगा।।
॥ समापन ॥
गंगा चलो हमारे साथ भोले,
गंगा से कहने लगा।
भोले मैं भी चलूंगी तेरे साथ,
गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी।।
॥ सार ॥
"भोले मैं ना चलूंगी तेरे साथ गंगा मैया यूं शिव से कहने लगी" भजन गंगा मैया और भगवान शिव के बीच दिव्य संवाद का अद्भुत चित्रण है।
इसमें गंगा की पवित्रता, पाप-पुण्य की विवेचना और शिव भक्ति की गहराई दिखाई गई है।
इसे सुनने और गाने से मन शुद्ध होता है और आत्मा को शांति व प्रसन्नता प्राप्त होती है।