भोले बाबा से गौरा यू बोली, आज थोड़ी भांग मैं पीयुगी
भोले बाबा से गौरा यू बोली,
आज थोड़ी भांग मैं पीयुगी।
कैसे लगती है सौतन हमारी,
आज इसको मैं पीके रहूंगी।।
भोले बोला सुनो गोरा प्यारी,
यह बस की नहीं बात तुम्हारी।
भांग के रंग तुम क्या जानो,
इसको पी करके तुम क्या करोगी।।
गौरा ने भोले की न मानी,
कटोरे में भांग को है छानी।
हाथ में प्याला लेकर बोली,
आज सुन लो पिया की सहेली,
तुम में कितना है दम देख लूंगी।।
गोरा को मानो ऐसे लग रहा है,
जैसे कैलाश पर्वत हिल रहा है।
बोली गौरा में फिर ना पियूंगी,
यह गलती मैं फिर ना करूंगी।।
देख गोरा और भांग की यह उलझन,
भोले ने दोनों को समझाया।
गौरा से बोले भांग पिलाओ,
भांग से बोले रंग को जामो,
गंगा से भोले सबको नहलाओ,
तुम तीनों की महिमा बढ़ेगी।।
॥ सार ॥
‘भोले बाबा से गौरा यू बोली’ भजन गौरा और भोलेनाथ के मजेदार और भावपूर्ण संवाद को दर्शाता है।
इसमें भांग के रंग, गंगा और शिव भक्ति के तत्व शामिल हैं। इसे सुनने से भक्तों को आनंद, सांस्कृतिक आनंद और शिव भक्ति का अनुभव मिलता है।